Temple Architecture (देवालय वास्तु)
Jump to navigation
Jump to search
This article needs editing.
Add and improvise the content from reliable sources. |
देवालय वास्तु (संस्कृतः ) देवालय निर्माण के आरम्भ से लेकर बाद तक, देवप्रतिष्ठा तक सात कर्म होते हैं। जिन्हें विधि के अनुसार पूर्ण करना चाहिये। ये कर्म हैं -
कूर्मस्थापना, द्वार स्थापना, पद्मशिला स्थापना, प्रासाद पुरुष की स्थापना, कलश, ध्वजा रोहण तथा देव प्रतिष्ठा।
कूर्म्मसंस्थापने द्वारे पद्माख्यायां तु पौरुषे। घटे ध्वजे प्रतिष्ठायां एवं पुण्याहसप्तकम्॥ (प्रासादमण्डनम्)[1]
परिचय॥ Introduction
भूमि निरूपण
गर्भगृह एवं मंडप
प्रासाद के प्रकार
प्रमुख शैलियां
शिखर प्रमाण
सारांश
उद्धरण
- ↑ भगवानदास जैन, प्रासाद मंडनम्, प्रथम अध्याय, श्लोक-३६ (पृ० २२)।